वर्ष १८६० से १९४७ के बीच भारत में हिंदी भाषा/ देवनागरी लिपि के कई मुद्रणालय (छापेखाने) स्थापित किये गए, जिनकी एक बड़ी संख्या लाहौर में थी. भारत के विभाजन के पश्चात् लाहौर के अधिकांश मुद्रक और प्रकाशक व्यापार में मंदी के कारण इन प्रकाशन भवनों को बंद करने पर मजबूर हो गए. इस समय देश भारी समाजिक और राजनैतिक परिवर्तन से गुज़र रहा था, इसलिए साहित्य पर किसी का विशेष ध्यान नहीं गया. कुछ समय बाद विभाजन-सम्बन्धी, और नए भारत में लिखी गई अन्य कथाएँ अधिक प्रचलित हो गईं. इस तरह लगभग ७०-८० वर्षों में बड़े यत्न से लिखा गया हिंदी साहित्य अचानक अनुपलब्ध हो गया. भारत में हिंदी साहित्य अस्सी के दशक तक अपने आरोह पर रहा, फिर भारतीय मुद्रकों ने भी या तो अंग्रेज़ी किताबें छापना प्रारम्भ कर दिया या अपनी हिंदी भाषा का स्तर गिरा लिया. आज तो स्थिति यह है कि लोग अंग्रेजी के शब्दों को देवनागरी लिपि में लिखकर उसे हिंदी कह देते हैं. बड़े-बड़े अखबारों के पत्रकारों को तक भाषा और लिपि का अंतर मालूम नहीं होता. अन्य भारतीय भाषाओँ की स्थिति भी कोई अधिक बेहतर नहीं है.
अच्छी बात यह है कि कई विस्मृत पुरानी पुस्तकों की व्यक्तिगत या पुराने पुस्तकालयों/ वाचनालयों में संग्रहीत प्रतियाँ अब फिर से अपने इलेक्ट्रॉनिक रूप में इंटरनेट पर मिलने लगी हैं. कुछ ऐसी ही पुस्तकों को मैंने स्वयं भी संकलित किया है. मेरी प्रिय पुस्तकों में से कुछ आपको यहाँ मिल जाएँगी:
शीर्षक: धर्म के नाम पर
लेखक: चतुरसेन शास्त्री
प्रकाशन वर्ष: १९३३
शीर्षक: भारत के पक्षी
लेखक: राजेश्वरप्रसाद नारायण सिंह
प्रकाशन वर्ष: १९५८
शीर्षक: उथले जल के पक्षी
लेखक: जगपति चतुर्वेदी
प्रकाशन वर्ष: १९५४
शीर्षक: वन उपवन के पक्षी
लेखक: जगपति चतुर्वेदी
प्रकाशन वर्ष: १९५४
शीर्षक: तमिल वेद
लेखक: तिरुवल्लुवर
अनुवादक: क्षेमानन्द राहत
प्रकाशन वर्ष: १९२७
शीर्षक: विज्ञान और उन्मुक्तता
लेखक: डी. डी. कौशाम्बी
अनुवादिका: संध्या पेडनेकर
प्रकाशन वर्ष: २००७
शीर्षक: जीवाणु विज्ञान
लेखक: भास्कर गोविन्द
प्रकाशन वर्ष: १९३०
शीर्षक: भाषा विज्ञान सार
लेखक: राममूर्ति महरोत्रा
प्रकाशन वर्ष: १९४६
शीर्षक: हिंदी भाषा और लिपि
लेखक: धीरेन्द्र वर्मा
प्रकाशन वर्ष: १९३९
शीर्षक: कृषि विज्ञान
लेखक: रामदयाल अग्रवाल
प्रकाशन वर्ष: १९२६
शीर्षक: राजनैतिक भारत (१९४०)
लेखक: हनुमानप्रसाद गोयल, मन्मथनाथ गुप्त (काकोरी कैदी), दामोदर स्वरुप गुप्त
प्रकाशन वर्ष: १९४०
शीर्षक: विजय मिली विश्राम न समझो
लेखक: चतुरसेन शास्त्री
प्रकाशन वर्ष: १९६३
शीर्षक: हिंदी विश्वकोश
लेखक: नागेन्द्रनाथ बसु
प्रकाशन वर्ष: १९१९
अच्छी बात यह है कि कई विस्मृत पुरानी पुस्तकों की व्यक्तिगत या पुराने पुस्तकालयों/ वाचनालयों में संग्रहीत प्रतियाँ अब फिर से अपने इलेक्ट्रॉनिक रूप में इंटरनेट पर मिलने लगी हैं. कुछ ऐसी ही पुस्तकों को मैंने स्वयं भी संकलित किया है. मेरी प्रिय पुस्तकों में से कुछ आपको यहाँ मिल जाएँगी:
शीर्षक: धर्म के नाम पर
लेखक: चतुरसेन शास्त्री
प्रकाशन वर्ष: १९३३
शीर्षक: भारत के पक्षी
लेखक: राजेश्वरप्रसाद नारायण सिंह
प्रकाशन वर्ष: १९५८
शीर्षक: उथले जल के पक्षी
लेखक: जगपति चतुर्वेदी
प्रकाशन वर्ष: १९५४
शीर्षक: वन उपवन के पक्षी
लेखक: जगपति चतुर्वेदी
प्रकाशन वर्ष: १९५४
शीर्षक: तमिल वेद
लेखक: तिरुवल्लुवर
अनुवादक: क्षेमानन्द राहत
प्रकाशन वर्ष: १९२७
शीर्षक: विज्ञान और उन्मुक्तता
लेखक: डी. डी. कौशाम्बी
अनुवादिका: संध्या पेडनेकर
प्रकाशन वर्ष: २००७
शीर्षक: जीवाणु विज्ञान
लेखक: भास्कर गोविन्द
प्रकाशन वर्ष: १९३०
शीर्षक: भाषा विज्ञान सार
लेखक: राममूर्ति महरोत्रा
प्रकाशन वर्ष: १९४६
शीर्षक: हिंदी भाषा और लिपि
लेखक: धीरेन्द्र वर्मा
प्रकाशन वर्ष: १९३९
शीर्षक: कृषि विज्ञान
लेखक: रामदयाल अग्रवाल
प्रकाशन वर्ष: १९२६
शीर्षक: राजनैतिक भारत (१९४०)
लेखक: हनुमानप्रसाद गोयल, मन्मथनाथ गुप्त (काकोरी कैदी), दामोदर स्वरुप गुप्त
प्रकाशन वर्ष: १९४०
शीर्षक: विजय मिली विश्राम न समझो
लेखक: चतुरसेन शास्त्री
प्रकाशन वर्ष: १९६३
शीर्षक: हिंदी विश्वकोश
लेखक: नागेन्द्रनाथ बसु
प्रकाशन वर्ष: १९१९